मामला इस प्रकार से है कि पिछले सप्ताह मैनाटाड़ ब्लॉक अंतर्गत परैनिया में बाघ ने नीलगाय का शिकार किया और उसे खाने के बाद लिपनी गांव पहुंच गया था। वनकर्मी उसे ढूंढने का प्रयास कर रहे थे, कि इसी बीच वहां से कई किलोमीटर दूर उसके पंजी के निशान साठी थाना क्षेत्र के बसंतपुर गांव में करताहा नदी के किनारे के सरेहों में मिला।
अब इधर कल मंगलवार को चनपटिया क्षेत्र में सिकरहना नदी के किनारे ये पग मार्क मिलने से लोगों में दहशत और खौफ का माहौल व्याप्त हो गया है।
ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग के लोगों को दी। इसकी पुष्टि करते हुए रेंजर सुनील पाठक में बताया कि चनपटिया की पिपरा गांव के सरेहों में बाघ का पगमार्क मिला है । उन्होंने बताया कि ग्रामीण द्वारा जो सूचना मिली उसके बाद से सूचना के आधार पर वन कर्मियों की टीम को पिपरा गांव के सरेहों में भेजा गया है।
आगे उन्होंने बताया कि वनकर्मी पगमार्क के आधार पर बाघ की चहलकदमी की निगरानी एवं उसके गतिविधि नजर रख रहे हैं। आगे रेंजर पाठक ने कहा कि ग्रामीणों को हिदायत दी गई है, कि सरेहों में ना जाएं और यदि बाघ दिखे तो छेड़छाड़ ना करें तथा वन विभाग को सूचित करें।
खबर लिखे जाने तक बाघ को पकड़ा नहीं गया है। क्योंकि वन विभाग द्वारा बताया जा रहा है कि गन्ना के खेत झाड़ियां और पेड़-पौधों की वजह से बन कर्मियों को ट्रेकिंग करने में परेशानी हो रही है।
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