Manoj Tiwari Bettiah News,
पटना : आज सांसद मनोज तिवारी बेतिया आए और डायरेक्ट महनवा डूंमरी मनीष कश्यप के घर पहुंचे। मनोज तिवारी के पहुंचने पर सैकड़ो लोग उपस्थित थे। उनकी बाइट लेने के लिए सोशल क्रिएटर भी लाइन लगाए हुए थे। शायद ये बातें सभी लोगों को नहीं पता होगा, कि इससे पहले भी कई वर्ष पूर्व बेतिया के बाद रमना मैदान में एक बार मनोज तिवारी आए हुए थे।
दरअसल उस समय राजन तिवारी बेतिया लोकसभा से चुनाव लड़ रहे थे। उन्हीं के प्रचार में मनोज तिवारी पहुंचे हुए थे। उन्होंने राजन तिवारी को चुनाव जीतने के लिए भी लोगों से आग्रह किया था। उस समय मनोज तिवारी की कोई पॉलिटिकल पहचान नहीं थी। उस समय तिवारी केवल एक भोजपुरी लोक गायक के रूप में प्रसिद्ध थे।
इस बार वह बेतिया दूसरी बार आए हैं। लेकिन आज बेतिया में किसी के पास नहीं आए थे, वह केवल मनीष कश्यप की घर महनवा डूंमरी गए थे। दरअसल महनवा डूंमरी मझौलिया प्रखंड का एक पंचायत है। यह बेतिया लोकसभा और बेतिया विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। पश्चिम चंपारण जिला के इस बेतिया लोकसभा क्षेत्र के भाजपा के सांसद संजय जयसवाल हैं, और विधानसभा के विधायक भी भाजपा के ही उमाकांत सिंह ही है।
जरा सोचिएगा, कि जब मनीष कश्यप पटना बेऊर जेल से 23 दिसंबर को निकले उसे समय भाजपा का कोई भी नामचिन नेता, कोई विधायक, कोई मंत्री, कोई एमपी, उनसे मिलने तक नहीं आया। उसके बाद जब मनीष कश्यप अपने घर महनवा डूंमरी पहुंचा तो सैकड़ो लोग मिलने गए, और लगातार मिलते रहे। इस बीच कई दिन बीत गए लेकिन भाजपा के उनके क्षेत्र का सांसद और विधायक तक हाल-चाल पूछने नहीं गए।
इससे यह बात पूरी तरह प्रमाणित होती है, कि भाजपा मनीष कश्यप को अपने साथ नहीं लेना चाहती। लेकिन चुकि मनीष कश्यप ने पिछले वर्ष से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर लगातार टिप्पणियां करते रहे हैं, तो उनके पास अब भाजपा के अलावा कोई विकल्प नहीं है। मनीष कश्यप बीजेपी के पक्ष में बयान दे रहे हैं। वह चाहते हैं, कि भाजपा उनका साथ ले लें। इसी कड़ी में जब वह भाजपा सांसद मनोज तिवारी से मिलने तीन-चार दिन पहले गए, तो मनीष लोगों को बताना चाह रहे थे, कि उनके संपर्क में भाजपा है और वह भाजपा के हितैषी हैं।
मनोज तिवारी ने मनीष कश्यप को देखा और उन्हें एक उम्मीद जगी, कि उनका डूबता नाम मनीष कश्यप बचा सकता है। क्योंकि पिछले दशक में मनोज तिवारी की अगुवाई में जो भी चुनाव हुए हैं। वहां भाजपा बुरी तरह से हार चुकी है। अब बीजेपी वाले मनोज तिवारी को बर्दाश्त नहीं करना चाह रहे। तिवारी का नाम और राजनीतिक कैरियर डूबता नजर आ रहा है। इसलिए मनोज तिवारी खुद मनीष का नाम भुलाने के लिए जेल में भी मिलने गए थे।
दरअसल मनोज तिवारी का मनीष कश्यप के घर आना, केवल तिवारी के अपने चेहरे चमकाने का, भाजपा में डूबते हुए राजनीतिक कैरियर को बचाने का, था। क्योंकि सोशल फॉलोअर्स में मनीष कश्यप मनोज तिवारी से कई गुना पॉपुलर है। इस तरह से मनोज तिवारी ने अपनी उल्लू सीधा किया है। इसका कोई राजनीतिक महत्व नहीं है।
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