किसको रूद्राक्ष से दूर रहना चाहिए, Rudraksha pahnna ke fayde


Rudraksha pahnna ke fayde

नई दिल्ली : रुद्राक्ष का नाम सुनते ही भगवान शिव का चेहरा हमारे आंखों के सामने घूमने लगता है। चलिए आज पूरी चर्चा होगी रुद्राक्ष के लिए। रुद्राक्ष क्यों पहनना चाहिए ? इसको धारण करने के कितने फायदे होते हैं  या कितने नुकसान होते हैं ? कौन व्यक्ति है जिसको रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए ?

दरअसल रुद्राक्ष शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। रुद्र और अक्ष अर्थात रुद्र का अर्थ होता है- भगवान शिव और अक्ष का अर्थ होता है आंसू। इस प्रकार से रुद्राक्ष का अर्थ हुआ भगवान शिव की आंखों से उत्पन्न हुआ पदार्थ यानी आंसू।

हिंदू धर्म पवित्र ग्रंथ "स्कंद पुराण" में एक कथा मिलती है। जिसका सारांश प्रस्तुत कर रहा हूं, ताकि रुद्राक्ष की उत्पत्ति का इतिहास जानकारी हो सके। कथा इस प्रकार है- पाताल लोक में 'मय' नामक एक बलशाली असुर था। जिसने कठिन तपस्या करके वरदान प्राप्त किया, कि तीनों लोकों का विजेता बनेगा। उसने तीनों लोकों में अपना पूरों (दुर्ग) का निर्माण कराया। जिसमें एक लोक को स्वर्ण से, दूसरे को चांदी से और तीसरे लोक में लोहे के पुरों को बनवाया। उसके बाद उसका नाम 'त्रिपुरासुर' कहा जाने लगा। 

                     उसके बाद तीनों लोकों के निवासियों को परेशान करने लगा। सभी देवता भाग कर, जाकर भगवान शिव से विनती किए, कि शिव शम्भू त्रिपुरासुर का विनाश कीजिए। भगवान शिव ने त्रिपुरासुर से युद्ध किया और उसका अंत कर तीनों पूरों को नष्ट किया। तत्पश्चात हिमालय पर्वत पर बैठकर थकान मिटा रहे थे, कि एकाएक उनको उनके विजय की खुशी हुई, और इतने खुश हुए की आंखों से जल की कुछ बूंदें टपक पड़ी। पर्वत-शिखर पर पड़ी यह बंदे अंकुरित हुई, अब बाद में पेड़ का रूप धारण किया। समय बीतने के साथ उस पेड़ में फूल लगे और फल लगे। इस फल के बीज को रुद्राक्ष के नाम से जाना जाता है।

रुद्राक्ष का स्वरूप

वास्तव में रुद्राक्ष विशेष प्रकार के पेड़ के फल की गुठली (बीज) है। यह फल गुच्छे में होता है। यह फल गूलर के समान गोल होता है। इसका गुदा (बीज का बाहरी आवरण) कठोर होता है, और फल के बीज को बड़ी ही मजबूती से पकड़ा रहता है।

रुद्राक्ष का रंग

फल से निकलने के बाद रुद्राक्ष का रंग हल्का भूरा होता है, और हल्की लालिमा लिए हुए होता है। धीरे-धीरे कुछ महीने बाद उसका रंग गाढ़ा भरा हो जाता है। कुछ और महीने बीतने के बाद गहरे रंग का भूरा यानी चॉकलेटी कलर का हो जाता है, और बाद में यह काला हो जाता है। लेकिन रंग के बदलाव से उसके उपयोगिता में कोई बदलाव नहीं होता है।

रुद्राक्ष धारण करने से मिलने वाले लाभ

✓ रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर स्वयं भगवान रूद्र शिव शंकर बहुत प्रसन्न होते हैं, और उसे व्यक्ति पर अपनी विशेष कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं।

✓ रुद्राक्ष धारण करने से शरीर स्वस्थ बना रहता है।

✓ रुद्राक्ष धारण करने से हार्ट अटैक संबंधी (हृदय रोग) रोग में आराम मिलता है।

✓ रुद्राक्ष धारण करने से उम्र में वृद्धि होती है, और अकाल मृत्यु से सुरक्षा होती है।

✓ रुद्राक्ष धारण करने से मन मस्तिष्क को शांति मिलती है। दुखों और पापों का समान होता है।

✓ रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का भूत-प्रेत, पिचास, डांकिनी, ऊपरी हवा, टोना-टोटका, तंत्र मंत्र, आदि का कोई असर नहीं होता है।

✓ रुद्राक्ष धारण करने से उत्साह, आंतरिक शक्ति, प्रसन्नता आदि में वृद्धि होती है। ज्ञान में वृद्धि होती है। बुद्धि भी तेज होती हैं।

✓ रुद्राक्ष धारण करने से व्यापार में वृद्धि, नौकरी में शीघ्र पदोन्नति प्राप्त होती है।

✓ रुद्राक्ष धारण करने से स्त्रियों को मातृत्व सुख प्राप्त होता है। उत्तम संतान प्राप्त होता है।

✓ रुद्राक्ष धारण करने से चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) की प्राप्ति होती है।

उपरोक्त जितने बातें बतायी गई हैं। यह रुद्राक्ष धारण करने के फायदे होते हैं। अब बात आती है, रुद्राक्ष धारण करने के नुकसान की, तो रुद्राक्ष धारण करने के किसी प्रकार का कोई नुकसान प्रमाणित नहीं हुआ है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करने के नुकसान के बारे में बताना संभव नहीं है।

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